बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत बीए सेमेस्टर-1 संस्कृतसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत
प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
कवि कुलगुरु कालिदास ने अपनी कविता वनिता को कला या भाव दोनों ही पक्षों से समलंकृत किया है। जहाँ एक ओर अपने विभिन्न अवयव अलंकार छन्द एवं समुचित शब्द विन्यास से विलसित हैं वहीं दूसरी ओर रस भाव एवं ध्वनि के विलास से उसका अन्तराल उल्लसित हो उठा है। महाकवि की शैली की यह असाधारण विशेषता है कि वे भावानुकूल ही भाषा का प्रयोग करते हैं। जहाँ पर अनेक कवि हृदय पक्ष को विस्मृत कर कला पक्ष की ओर आकृष्ट हो जाते हैं तथा दूसरे कविजन कला पक्ष की उपेक्षा कर भावपक्ष के संयोजन में ही लगे रहते है, ही कालिदास दोनो पक्षों का सुन्दर ढंग से समन्वय करके उन्हें उचित रूप से प्रस्तुत कर देते हैं।
उनकी रचनाओं की लोकप्रियता का प्रमुख कारण यह है कि उनमें प्रसाद गुणोपेत ललित एवं परिष्कृत काव्य शैली का प्रयोग हुआ है। माधुर्य गुण सवलित उनका प्रसाद गुण पाठको के चित्र को प्रसन्न कर देता है। वैदर्भी रीति के वे सर्वश्रेष्ठ कवि है।
ध्वन्यात्मकता उनकी शैली प्रमुख विशेषता है। उनके श्लोकों से निकलने वाली ध्वनि पाठकों पर सम्मोहन का कार्य करती है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित श्लोक उदधृत किया जा रहा है -
'एवं वादिनि देवर्षो पार्श्वे पितुरधोमुखी।
लीलाकमलपत्राणि गणयामास पार्वती॥
जब महर्षि अंङ्गिस हिमालय से पार्वती के सम्बन्ध में बातचीत करते हैं तो उनके समीप स्थित पार्वती के सम्बन्ध में बातचीत करते है तो उनके समीप स्थित पार्वती आत्मविषयक चर्चाओं को सुनकर पिता के सामने मुख झुका लेती हैं और कमल की पंखुड़ियों को गिनने लगती हैं। पार्वती के इन कार्यों से उनकी शालीनता, आनन्दानुभूति, प्रेम प्रभूति तथा प्रस्ताव की स्वीकृति आदि की अभिव्यक्ति होती है। उनके द्वारा मुख झुका लेने से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि अब वारुव्यवस्था को प्राप्त करने जा रही है। लीला कमल विलास द्वारा कवि ने मुग्धा नायिका सुलभ व्यापार तथा रमणीयता को प्रस्तुत किया है।
वे कोमल तथा सुकुमार श्रृंगारिक एवं कारुणिक भावों के चित्रण में अद्वितीय शिल्पी हैं। कोमल श्रृंगारिक भावों का उदाहरण प्रस्तुत है.
'अधरः किसलयरागः कोमलविटपानुकारिणौ बाहू।
कुसुममिव लोमनीयं यौवनमंगेषु सन्नद्धम्॥
इस श्लोक में कोमल श्रृंगारिक भावों की व्यञ्जना पायी गयी है। राजा दुष्यन्त की शकुन्तला का अधरोष्ठ किसलय के समान लाल-लाल प्रतीत होता है। उसका भुज युगल कोमल विपट के समान है। उसके संपूर्ण शरीर में व्याप्त फूल के सदृश कमनीय नव यौवन राजा को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। कोमल कारुणिक भावों की व्यञ्जना को इस श्लोक में देखें
'शममेष्यति मम शोकः कथं नुवत्से त्वया रचितपूर्व
उटजद्वारविरूढं नीवारवलिं विलोकयतः॥
इस श्लोक में अपूर्व कोमल कारुणिक भावो की अभिव्यञ्जना की गयी है। जब शकुन्तला महर्षि कण्व के शोक को कम करने के लिए कहती है तो वे कहते हैं कि जब-जब तुम्हारे द्वारा उगाये गये नीवार को देखेंगे तब-तब तुम्हारे द्वारा मेरे हृदय में शोक रूपी वृक्ष चौगुना बढ़ता जायेगा।
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- प्रश्न- 'योगदर्शन' के प्रणेता कौन हैं? योगदर्शन के आधार ग्रन्थ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्यगत विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- श्री हर्ष की 'परिहास-प्रियता' का एक उदाहरण दीजिये।
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- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
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